अंबेडकर और अन्न <br>वर्ष 3 | अंक 8 [दिसम्बर 2023 ]

अंबेडकर और अन्न
वर्ष 3 | अंक 8 [दिसम्बर 2023 ]

बाबासाहेब अंबेडकर को याद करते हुए ऐसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि उनकी बहुत रुचि खाने में कभी रही होगी । लेकिन जिन लोगों का अंबेडकर के साथ नज़दीक का संग साथ रहा था , उनके अनुसार, अंबेडकर को अच्छी तरह से खाना पसंद था। उनके मराठी बायोग्राफर सी. बी. खैरमोडे की मार्फत हम यह जानते हैं कि उन्हें अपनी पहली पत्नी ... — अशोक गोपाल
नाक भी ज़रिया है खाने का <br>Volume 3 | Issue 6 [October 2023]

नाक भी ज़रिया है खाने का
Volume 3 | Issue 6 [October 2023]

एक तो माँ की स्थिति पहले ही पीड़ाजनक थी, ऊपर से डॉक्टर ने सलाह दी कि हम उन्हें नाक से दूध पिलाए। उनके देखभाल की जिम्मेदारी मेरी थी, और मेरी पहली प्रतिक्रिया थी, घृणा। एक ऐसा शख़्स जिसने अपना अधिकांश जीवन राइनाइटिस के साथ बिताया, उसके लिए नाक सिर्फ एक असुविधाजनक, कष्टदायी अंग था, जो हरा, चिपचिपा, अप्रिय स्नॉट पैदा करता है; जिसे टिश्यू की मदद से तुरंत फेंक देना चाहिए। नाक साफ़ करने का तरीका मुझे माँ ही ने सिखाया था, और ... — गीता विश्वनाथ
खाना मेरे लिए, आत्मकथा है <br>वर्ष 3 | अंक 5 [सितम्बर 2023 ]

खाना मेरे लिए, आत्मकथा है
वर्ष 3 | अंक 5 [सितम्बर 2023 ]

खाने के साथ मेरा, ताजीवन एक अनोखा सा रिश्ता रहा है। स्वाद, टेक्स्चर, रंग और गंध ने मिलकर मुझे खाने के प्रति या तो आकृष्ट किया है या विरक्त। मेरी ज़िंदगी में एक ऐसा वक़्त भी आया था जब खाना मेरे लिए दुख से पार पाने का एक ज़रिया हो गया था। कभी -जैसा मैं दिखने की इच्छा करती ,उस प्रयोजन में खाना मेरा दुश्मन बन जाता, कभी जैसा- मैं सोचना चाहती, खाना ... — मल्लिका साराभाई
उर्दू शाइरी में खाना-पीना <br>Volume 3 | Issue 3 [July 2023]

उर्दू शाइरी में खाना-पीना
Volume 3 | Issue 3 [July 2023]

उर्दू साहित्य में शायद ही कोई होगा जिसने खाने पीने पे इतना लिखा हो जितना आगरा में रहने वाले नज़ीर अकबराबादी ने लिखा है। रोटी पे लिखा हुआ उनका लम्बा गीत "रोटिनामा" आज भी पढ़ा और सराहा जाता है। उनकी अन्य रचनाएँ जैसे की "आगरा की ककड़ियाँ "(जहाँ ककड़ियों को लैला की उँगलियों की तुलना दी गयी थी ) , "तरबूज़", "ख़रबूज़े", "संतरे", "नारंगी" और "जलेबियाँ" मौसम के फलों ... — डॉ रख्शंदा जलील
मेरी माँ की ज़बान<br>Volume 3 | Issue 2 [June 2023]

मेरी माँ की ज़बान
Volume 3 | Issue 2 [June 2023]

एक ‘पाक सूत्रधार’ की तरह, मेरी माँ अपनी कला का इस्तेमाल प्रखर सटीकता और कौशल के साथ अडिग सुरुचिपूर्ण तरीके से करती है। इतने बरसों के बाद भी, उसका बेशकीमती नॉरिटाके चाइना सेट, जिसे उसने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा था, अभी भी ज्यों का त्यों है, ऐसा कि शोरबे के बर्तन पर तुड़क का नाम तक नहीं। इसका विरासती क्रॉकरी की विलासिता या पीढ़ीगत व्यंगोक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि, यह है एक लड़की और उसके सपनों के परिदृश्य के बारे... — कीर्तना कुमार
मिक्स्ड हंटिंग पार्टी <br>Volume 3 | Issue 1 [May 2023]

मिक्स्ड हंटिंग पार्टी
Volume 3 | Issue 1 [May 2023]

मैं शायद चौथी कक्षा में था; हम मैदान में खेल रहे थे। घंटी बज चुकी थी, पर मैं नहीं हिला था। मैंने आकाश में एक पक्षी को देखा था, न ही वह हिल रहा था; वह स्थिर था – हवा में लटका हुआ। एकाएक वह पत्थर की तरह नीचे की ओर आता हुआ क्षण भर में ही जमीन पर आ गिरा। मैं चौंक पड़ा, मुझे लगा कि वह घायल हो गया है, या शायद मर न गया हो, और मैं उसकी ओर दौड़ा। जैसे ही मैं करीब पहुँचा... — पीयूष सेखसरिया
एक ग्रीक का सफर, भारतीय भोजन के संग <br>Volume 2 | Issue 12 [April 2023]

एक ग्रीक का सफर, भारतीय भोजन के संग
Volume 2 | Issue 12 [April 2023]

कई अनोखे व्यंजनों को मेज़ पर सजाते हुए वह सहसा रुकी और भौहें चढ़ाते हुए बोली, ओह, मुझे खेद है, मैं दही तो भूल ही गयी। कोई बात नहीं, मैंने कहा, यह सोच कि दही इतना ज़रूरी क्यों है? मॉन्ट्रियल में बड़े होते हुए, मैं भारतीय महलाओं को साड़ियों में देख उनसे बहुत प्रभावित होती - केवल वही होती जो ऐसी दिखती जैसे वास्तव में कहीं और से आई हों। लेकिन रोली पहली भारतीय थी जिससे मैं व्यक्तिगत रूप से मिली थी - राजनीति विज्ञान की कक्षा में - जहाँ हमने एक साथ क्रांति ... — जोआन नेज़ी
आओ कुछ खटास की बात करें  <br>वर्ष 2 | अंक 10 [फ़रवरी 2023]

आओ कुछ खटास की बात करें
वर्ष 2 | अंक 10 [फ़रवरी 2023]

यह उन दिनों की बात है जब रॉक एण्ड रोल रिवाइवल बैंड शोवड्डीवड्डी, संगीत के सारे चार्ट्स में अव्वल चल रहा था। मुझे गर्व था कि मेरे पास उस बैंड का अन्डर द मून ऑफ लव, का रिकार्ड था और वह मेरे ज़ेहन में अंदर तक धंसा हुआ था। यह सबकुछ, इस परेशान करने वाली सच्चाई के बावजूद था जब यदा कदा ईंट के टुकड़े हमारे लीड्स स्थित सीक्रॉफ्ट अस्पताल, वाले मामूली से घर की खिड़की के कांच को तोड़ने के लिए फेंके जाते ... — गौतम पेम्माराजू
क्या मैंगलोरियन मटन करी आपकी शादी को बचा सकती है?<br>वर्ष 2 | अंक 9 [जनवरी 2023]

क्या मैंगलोरियन मटन करी आपकी शादी को बचा सकती है?
वर्ष 2 | अंक 9 [जनवरी 2023]

आपकी बीवी आपको धोखा दे रही है; आप महसूस कर सकते हैं। आज रविवार है और वह काम कर रही है। उसने कहा था कि वह दोपहर तक वापस आ जाएगी। जब आप फ्रिज खोलते हैं, तो पाते हैं कि लंच के लिए कुछ भी नहीं है। आपके पास उसके लिए कुछ खास बनाने का अवसर है। आपकी बीवी आजकल काम में इतनी मसरूफ है कि नींद में भी बड़बड़ाती रहती ... — मिशेल डीकोस्टा
महिलाएं, खाना, और पकाना <br>Volume 2 | Issue 8 [December 2022]

महिलाएं, खाना, और पकाना
Volume 2 | Issue 8 [December 2022]

दशकों पहले, मुझे विरागो ने भोजन पर लिखे जा रहे एक संकलन में योगदान करने के लिए आमंत्रित किया। योगदानकर्ता सभी महिलाएं थीं जिन में वर्जीनिया वूल्फ, डोरिस लेसिंग, मार्गरेट एटवुड, मार्गरेट ड्रेबल, जर्मेन ग्रीर और ऐसी कई चुनिंदा लेखिकाएं शामिल थीं। जब पुस्तक मेरे पास ... — शशि देशपांडे
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